आत्मनिर्भरता दाल मिशन 2025: आवेदन, लाभ और पूरी गाइड
आत्मनिर्भरता दाल मिशन 2025 की पूरी गाइड: आवेदन प्रक्रिया, लाभ, पात्रता, और दाल उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के सरकारी प्रयास जानें।
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नमस्ते दोस्तों! आज हम एक ऐसे महत्वपूर्ण सरकारी मिशन के बारे में बात करने जा रहे हैं जो हम सभी के लिए, खासकर हमारे मेहनती किसानों के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी है। मैं बात कर रहा हूँ आत्मनिर्भरता दाल मिशन 2025 की। आपने शायद 'दाल' शब्द सुना होगा और सोचा होगा कि यह तो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है, तो इसमें 'आत्मनिर्भरता' का क्या काम?
सच कहूँ तो, भारत में दालों का महत्व सिर्फ हमारे खाने की थाली तक सीमित नहीं है। यह प्रोटीन का एक अहम स्रोत है, खासकर शाकाहारी आबादी के लिए, और हमारी कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि कई सालों से हम अपनी दालों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहे हैं? हाँ, यह सच है!
यही वजह है कि हमारी सरकार ने इस गंभीर मुद्दे को समझा और एक ऐसी योजना लेकर आई है जो न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी बल्कि पूरे देश को दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएगी। यह मिशन सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं है, बल्कि यह हमारे किसानों के सपनों को पंख देने और देश को खाद्य सुरक्षा में मजबूत करने का एक बड़ा कदम है। आइए, मेरे साथ इस पूरी गाइड में जानें कि यह मिशन क्या है, इसके क्या लाभ हैं, आप कैसे आवेदन कर सकते हैं और यह आपके लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है। यह सब कुछ मैं आपको बहुत ही आसान और सरल भाषा में समझाऊँगा, जैसे मैं किसी दोस्त से बात कर रहा हूँ। तो, चलिए शुरू करते हैं!
यह एक व्यापक मार्गदर्शिका है जो आपको आत्मनिर्भरता दाल मिशन 2025 के बारे में हर एक जानकारी देगी। हमने हर पहलू को कवर करने की कोशिश की है ताकि आपको कहीं और देखने की ज़रूरत न पड़े।
आत्मनिर्भरता दाल मिशन क्या है?
चलिए सबसे पहले समझते हैं कि यह आत्मनिर्भरता दाल मिशन 2025 आखिर है क्या। जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है, इसका मुख्य लक्ष्य भारत को दालों के उत्पादन में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना है। यह कोई छोटी-मोटी पहल नहीं, बल्कि छह साल की एक बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना है जिसे 2025-26 के केंद्रीय बजट में घोषित किया गया था।
आपको याद होगा कि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने 10 अक्टूबर 2025 को इसकी विस्तृत जानकारी दी थी, और यह 11 अक्टूबर 2025 को आधिकारिक तौर पर लॉन्च होने वाली है। यह मिशन मुख्य रूप से तीन प्रकार की दालों – उड़द, अरहर (तूर) और मसूर पर केंद्रित है, क्योंकि इन्हीं में हमारी आयात निर्भरता सबसे ज़्यादा है।
सरकार का मानना है कि इन दालों के उत्पादन में वृद्धि करके हम न केवल अपनी घरेलू ज़रूरतों को पूरा कर पाएंगे बल्कि भविष्य में शायद इन्हें निर्यात भी कर सकें। यह किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है कि वे अपनी पारंपरिक खेती के साथ-साथ दालों की खेती पर भी ध्यान दें और ज़्यादा मुनाफा कमाएं। यह मिशन एक मजबूत भारत की नींव रखने की दिशा में एक अहम कदम है।
यह मिशन क्यों महत्वपूर्ण है?
आप सोच रहे होंगे कि सरकार ने दालों पर ही इतना जोर क्यों दिया है? इसका सीधा सा कारण है हमारी देश में दालों की लगातार बढ़ती मांग और उत्पादन के बीच का बड़ा अंतर। हमारी जनसंख्या बढ़ रही है, और प्रोटीन की ज़रूरत भी। लेकिन, हम अपनी खपत जितनी दालें पैदा नहीं कर पा रहे हैं।
अभी तक, हम अपनी दालों की एक बड़ी मात्रा दूसरे देशों से आयात करते रहे हैं, जिस पर काफी विदेशी मुद्रा खर्च होती है। यह मिशन इस निर्भरता को खत्म करने और देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बेहद ज़रूरी है। अगर हम खुद अपनी ज़रूरतें पूरी कर पाएंगे, तो हमें अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के उतार-चढ़ाव से नहीं जूझना पड़ेगा, और हमारे किसानों को उनकी मेहनत का सही दाम मिलेगा।
इसके अलावा, दालें मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी मदद करती हैं, जिससे यह पर्यावरण के लिए भी बेहतर विकल्प है। यह मिशन सिर्फ किसानों के लिए नहीं, बल्कि हर भारतीय के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें पौष्टिक भोजन की सुनिश्चित आपूर्ति प्रदान करेगा। यह देश की आर्थिक स्थिति और किसानों की सामाजिक स्थिति दोनों को सुधारने का एक महत्वपूर्ण जरिया है।
मिशन के मुख्य उद्देश्य और लक्ष्य
यह मिशन सिर्फ आंकड़ों और लक्ष्यों के बारे में नहीं है, बल्कि यह ठोस लक्ष्यों और उद्देश्यों के साथ मैदान में उतरा है। इसका सबसे बड़ा लक्ष्य है भारत को दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना। आइए, इसके कुछ प्रमुख उद्देश्यों और लक्ष्यों पर एक नज़र डालते हैं:
- खेती का क्षेत्र बढ़ाना: सरकार का लक्ष्य है कि दालों की खेती का कुल क्षेत्रफल 27.5 मिलियन हेक्टेयर से बढ़ाकर 2030-31 तक 31 मिलियन हेक्टेयर किया जाए। यह एक महत्वपूर्ण विस्तार है, जो अधिक उत्पादन सुनिश्चित करेगा।
- उत्पादन में वृद्धि: इस मिशन के तहत दालों का उत्पादन मौजूदा 24.2 मिलियन टन से बढ़ाकर 2030-31 तक 35 मिलियन टन करने का लक्ष्य रखा गया है। यह लगभग 45% की वृद्धि है, जो हमारी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक है।
- अनुसंधान और विकास: मिशन में उच्च उपज देने वाली, कीट-प्रतिरोधी और जलवायु-लचीली दालों की किस्मों पर व्यापक शोध और विकास रणनीति शामिल है। इसका मतलब है कि हमारे किसानों को बेहतर बीज मिलेंगे जो कम लागत में ज़्यादा पैदावार देंगे।
- बीज वितरण: किसानों को 1.26 करोड़ क्विंटल प्रमाणित बीज और 88 लाख मुफ्त बीज किट वितरित किए जाएंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि किसानों के पास अच्छी गुणवत्ता वाले बीज हों ताकि वे बेहतर फसल उगा सकें।
- प्रसंस्करण इकाइयाँ: प्रमुख दाल उत्पादक क्षेत्रों में 1,000 प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित की जाएंगी। हर इकाई को सरकार द्वारा ₹25 लाख की सब्सिडी मिलेगी। यह किसानों को अपनी फसल का बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद करेगा और स्थानीय स्तर पर रोज़गार के अवसर पैदा करेगा।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद: केंद्र सरकार की एजेंसियाँ पंजीकृत किसानों के 100% उत्पादन को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदेंगी। यह किसानों को उनकी मेहनत का उचित दाम सुनिश्चित करेगा और उन्हें बाज़ार के उतार-चढ़ाव से बचाएगा।
इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार ने एक स्पष्ट रूपरेखा तैयार की है, जो हमारे कृषि क्षेत्र में एक क्रांति ला सकती है। आप इस मिशन की भविष्य की संभावनाओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमारा विस्तृत लेख 'क्या दाल मिशन भारतीय कृषि का भविष्य है? 2025 की संभावनाएँ' पढ़ सकते हैं। इसके अलावा, मिशन के लॉन्च और नवीनतम अपडेट के लिए, 'दाल मिशन नवीनतम समाचार 2025: लॉन्च और मुख्य अपडेट' देखें।
आत्मनिर्भरता दाल मिशन के लाभ
यह मिशन केवल आंकड़ों और लक्ष्यों के बारे में नहीं है, बल्कि यह सीधे तौर पर लाखों किसानों और देश के हर नागरिक के जीवन को बेहतर बनाने की क्षमता रखता है। आइए, इसके कुछ महत्वपूर्ण लाभों पर गौर करें:
1. किसानों के लिए आय में वृद्धि:
- सुनिश्चित खरीद मूल्य: एमएसपी पर 100% खरीद की गारंटी से किसानों को अपनी फसल का उचित और निश्चित मूल्य मिलेगा। उन्हें बाज़ार के उतार-चढ़ाव की चिंता नहीं करनी पड़ेगी, जिससे उनकी आय में स्थिरता आएगी।
- बेहतर बीज और तकनीक: प्रमाणित बीज और अनुसंधान से विकसित नई किस्मों के उपयोग से पैदावार बढ़ेगी, जिससे प्रति एकड़ आय में इज़ाफा होगा।
- प्रसंस्करण इकाइयों से लाभ: स्थानीय प्रसंस्करण इकाइयाँ किसानों को अपनी उपज को सीधे बेचने और मूल्यवर्धन करने का अवसर देंगी, जिससे बिचौलियों की भूमिका कम होगी और उन्हें ज़्यादा मुनाफा मिलेगा।
2. देश के लिए आर्थिक लाभ:
- विदेशी मुद्रा की बचत: दालों के आयात पर होने वाला बड़ा खर्च बचेगा, जिससे देश की विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होगा। यह हमारे राष्ट्रीय खजाने के लिए एक बड़ी राहत होगी।
- खाद्य सुरक्षा: दालों के घरेलू उत्पादन में वृद्धि से देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी। हमें पोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बाहरी देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
- रोज़गार के अवसर: प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना और खेती के विस्तार से ग्रामीण क्षेत्रों में नए रोज़गार के अवसर पैदा होंगे, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
3. पर्यावरण और मिट्टी के लिए लाभ:
- मिट्टी की उर्वरता: दालें मिट्टी में नाइट्रोजन को स्थिर करने में मदद करती हैं, जिससे मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता बढ़ती है। यह रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करेगा और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करेगा।
- कम जल उपयोग: कई दालों की फसलों को धान या गन्ने जैसी फसलों की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है, जिससे जल संसाधनों का बेहतर प्रबंधन होगा।
कुल मिलाकर, यह मिशन किसानों को सशक्त बनाने, देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और पर्यावरण को लाभ पहुँचाने का एक बहुआयामी प्रयास है। यह वास्तव में 'दाल मिशन: किसानों के सशक्तिकरण की अनकही कहानी' है, जिसके बारे में आप हमारे विस्तृत लेख में और पढ़ सकते हैं।
कौन कर सकता है आवेदन? पात्रता मानदंड
अब आप सोच रहे होंगे कि इस शानदार मिशन का लाभ उठाने के लिए कौन-कौन पात्र हैं? आइए, मैं आपको सरल शब्दों में समझाता हूँ कि इस मिशन के तहत कौन आवेदन कर सकता है और किन चीज़ों का ध्यान रखना होगा।
1. किसानों के लिए पात्रता:
- भारतीय नागरिकता: सबसे पहले, आवेदक किसान को भारत का नागरिक होना चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि योजना का लाभ हमारे देश के किसानों को ही मिले।
- खेती योग्य भूमि: किसान के पास दालों की खेती के लिए अपनी ज़मीन होनी चाहिए, या वह वैध लीज पर ज़मीन लेकर खेती कर रहा हो। मिशन का उद्देश्य दालों के उत्पादन को बढ़ाना है, इसलिए ज़मीन होना एक ज़रूरी शर्त है।
- पंजीकरण: किसानों को संबंधित कृषि विभाग या मिशन की आधिकारिक वेबसाइट पर स्वयं को पंजीकृत करना होगा। पंजीकरण प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि सरकार के पास सभी पात्र किसानों का रिकॉर्ड हो।
- फोकस दालें: मुख्य रूप से उड़द, अरहर (तूर) और मसूर की खेती करने वाले किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। यदि आप इन दालों में से किसी की खेती करना चाहते हैं या कर रहे हैं, तो यह आपके लिए एक बड़ा अवसर है।
उदाहरण के लिए: मान लीजिए, महाराष्ट्र में एक छोटा किसान राम, जो पहले सोयाबीन उगाता था, अब अपनी कुछ ज़मीन पर अरहर (तूर) उगाना चाहता है। यदि वह सभी शर्तों को पूरा करता है और अपना पंजीकरण करवाता है, तो वह इस मिशन के तहत बीज किट और एमएसपी पर अपनी फसल बेचने का लाभ उठा सकता है।
2. प्रसंस्करण इकाइयों के लिए पात्रता:
- उद्यमी या समूह: कोई भी व्यक्ति, किसान उत्पादक संगठन (FPO), स्वयं सहायता समूह (SHG) या सहकारी समिति प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने के लिए आवेदन कर सकती है।
- परियोजना रिपोर्ट: आवेदक को अपनी प्रस्तावित प्रसंस्करण इकाई के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (Project Report) प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें लागत, क्षमता और व्यवसाय योजना का उल्लेख हो।
- स्थान: प्रसंस्करण इकाई प्रमुख दाल उत्पादक क्षेत्रों में स्थापित की जानी चाहिए ताकि किसानों को आसानी हो और रसद लागत कम हो।
पात्रता मानदंड की विस्तृत जानकारी और कौन आवेदन कर सकता है सब्सिडी के लिए, इसके लिए आप हमारा समर्पित लेख 'दाल मिशन पात्रता: कौन आवेदन कर सकता है सब्सिडी के लिए?' पढ़ सकते हैं। आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेजों के बारे में जानने के लिए, 'आत्मनिर्भरता दाल: किसानों के लिए आवश्यक दस्तावेज' देखें।
आत्मनिर्भरता दाल मिशन के लिए आवेदन कैसे करें?
यह जानना बहुत ज़रूरी है कि इस मिशन का लाभ उठाने के लिए आवेदन कैसे करना है। सरकार ने प्रक्रिया को यथासंभव सरल बनाने की कोशिश की है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा किसान और उद्यमी इसका हिस्सा बन सकें। मैं आपको एक सामान्य चरण-दर-चरण प्रक्रिया बता रहा हूँ:
1. किसानों के लिए आवेदन प्रक्रिया:
- पहचान करें और जानकारी प्राप्त करें: सबसे पहले, अपने राज्य के कृषि विभाग या ज़िला कृषि कार्यालय से संपर्क करें। वे आपको मिशन के बारे में नवीनतम जानकारी और आपके क्षेत्र के लिए विशिष्ट दिशानिर्देश प्रदान करेंगे।
- ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकरण: आमतौर पर, ऐसे मिशन के लिए एक समर्पित ऑनलाइन पोर्टल होता है। आपको उस पोर्टल पर अपनी मूल जानकारी जैसे नाम, पता, आधार नंबर, बैंक खाता विवरण और भूमि विवरण के साथ पंजीकरण करना होगा।
- आवेदन पत्र भरें: ऑनलाइन आवेदन पत्र में आपको अपनी खेती की जानकारी, आप कौन सी दाल उगाना चाहते हैं, और अपेक्षित पैदावार जैसी जानकारी भरनी होगी।
- आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें: आपको अपने आधार कार्ड, भूमि के दस्तावेज़ (खसरा-खतौनी), बैंक पासबुक की कॉपी और पासपोर्ट साइज़ फोटो जैसे दस्तावेज़ों की स्कैन की हुई प्रतियाँ अपलोड करनी पड़ सकती हैं।
- सबमिट करें और पुष्टि की प्रतीक्षा करें: सभी जानकारी और दस्तावेज़ भरने के बाद, आवेदन सबमिट करें। आपको एक आवेदन संख्या मिलेगी जिसे भविष्य के संदर्भ के लिए सुरक्षित रखें। आपको एसएमएस या ईमेल के माध्यम से अपने आवेदन की स्थिति के बारे में अपडेट मिलते रहेंगे।
उदाहरण: अगर उत्तर प्रदेश का कोई किसान, रीता, मसूर की खेती के लिए आवेदन करना चाहती है, तो वह सबसे पहले यूपी कृषि विभाग की वेबसाइट या अपने ज़िले के कृषि अधिकारी से संपर्क करेगी। फिर, ऑनलाइन पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराएगी, फॉर्म भरेगी और ज़मीन के कागजात अपलोड करके आवेदन जमा कर देगी।
2. प्रसंस्करण इकाइयों के लिए आवेदन प्रक्रिया:
- मार्गदर्शन प्राप्त करें: आपको संबंधित मंत्रालय या विभाग (जैसे कृषि मंत्रालय या खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय) से संपर्क करना होगा जो प्रसंस्करण इकाइयों के लिए सब्सिडी का प्रबंधन कर रहा है।
- विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करें: एक विस्तृत डीपीआर तैयार करें जिसमें परियोजना की व्यवहार्यता, तकनीकी विवरण, वित्तीय अनुमान और प्रस्तावित इकाई के स्थान का उल्लेख हो।
- ऑनलाइन/ऑफलाइन आवेदन: डीपीआर और अन्य आवश्यक दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से आवेदन करें। इसमें आमतौर पर एक व्यवसाय योजना, वित्तीय विवरण और सभी आवश्यक अनुमतियां शामिल होती हैं।
- मूल्यांकन और मंजूरी: आपके आवेदन और डीपीआर का संबंधित अधिकारी द्वारा मूल्यांकन किया जाएगा। यदि सब कुछ ठीक रहा, तो आपको मंजूरी मिलेगी और सब्सिडी जारी करने की प्रक्रिया शुरू होगी।
आवेदन प्रक्रिया को और भी विस्तार से समझने के लिए, खासकर ऑनलाइन चरणों के लिए, आप हमारी विस्तृत 'दाल मिशन 2025 के लिए आवेदन करें: स्टेप-बाय-स्टेप ऑनलाइन गाइड' पढ़ सकते हैं। यह आपको हर कदम पर मार्गदर्शन देगा!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
आत्मनिर्भरता दाल मिशन को लेकर आपके मन में कई सवाल हो सकते हैं। यहाँ कुछ ऐसे ही अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब दिए गए हैं:
Q: आत्मनिर्भरता दाल मिशन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
A: इस मिशन का मुख्य उद्देश्य भारत को दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है, दालों की खेती का क्षेत्रफल बढ़ाना, उत्पादन में वृद्धि करना और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करना है। यह हमारी आयात निर्भरता को कम करने और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
Q: यह मिशन किन दालों पर विशेष ध्यान केंद्रित करेगा?
A: यह मिशन मुख्य रूप से उड़द (काली दाल), अरहर (तूर दाल) और मसूर (लाल दाल) पर विशेष ध्यान केंद्रित करेगा। इन दालों में हमारी आयात निर्भरता सबसे अधिक है, इसलिए इनके उत्पादन को बढ़ाना प्राथमिकता है।
Q: किसानों को अपनी दाल की उपज बेचने में क्या लाभ मिलेगा?
A: इस मिशन के तहत, केंद्र सरकार की एजेंसियाँ पंजीकृत किसानों से 100% दालों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर करेंगी। इसका मतलब है कि किसानों को अपनी मेहनत का उचित और सुनिश्चित मूल्य मिलेगा, जिससे उन्हें बाज़ार के उतार-चढ़ाव की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।
Q: प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने के लिए कितनी सब्सिडी मिलेगी?
A: मिशन के तहत, प्रमुख दाल उत्पादक क्षेत्रों में स्थापित होने वाली प्रत्येक प्रसंस्करण इकाई को सरकार द्वारा ₹25 लाख तक की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। यह उद्यमियों और किसान समूहों को अपनी इकाइयाँ स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
Q: मैं इस मिशन के तहत आवेदन कैसे कर सकता हूँ?
A: किसानों के लिए, आपको अपने राज्य के कृषि विभाग की वेबसाइट या ज़िला कृषि कार्यालय से संपर्क करना होगा। आमतौर पर, एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण और आवेदन किया जाता है। प्रसंस्करण इकाइयों के लिए, संबंधित मंत्रालय या विभाग से संपर्क करके विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के साथ आवेदन करना होता है। हमारी स्टेप-बाय-स्टेप ऑनलाइन गाइड भी आपकी मदद कर सकती है।
Q: क्या इस मिशन के लिए कोई विशेष दस्तावेज़ों की आवश्यकता होगी?
A: हाँ, आवेदन के लिए कुछ आवश्यक दस्तावेज़ों की ज़रूरत होगी जैसे आधार कार्ड, भूमि के दस्तावेज़ (खसरा-खतौनी), बैंक पासबुक की कॉपी, पासपोर्ट साइज़ फोटो, और यदि आप प्रसंस्करण इकाई के लिए आवेदन कर रहे हैं तो विस्तृत परियोजना रिपोर्ट। आप हमारे समर्पित लेख 'आत्मनिर्भरता दाल: किसानों के लिए आवश्यक दस्तावेज' में पूरी सूची देख सकते हैं।
निष्कर्ष
तो दोस्तों, यह था आत्मनिर्भरता दाल मिशन 2025 के बारे में हमारा विस्तृत मार्गदर्शक। मुझे उम्मीद है कि मैंने आपको इस महत्वपूर्ण योजना के हर पहलू को सरल और सहज तरीके से समझा पाया हूँ। यह मिशन सिर्फ दालों के उत्पादन को बढ़ाने का एक प्रयास नहीं है, बल्कि यह हमारे देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने, किसानों की आय बढ़ाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का एक बड़ा कदम है।
यह एक ऐसी पहल है जो हमें दूसरों पर निर्भर रहने के बजाय अपनी ज़रूरतों को खुद पूरा करने की शक्ति देती है। यह हमें सिखाती है कि कैसे एकजुट होकर हम बड़े से बड़े लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। अगर आप एक किसान हैं, तो यह आपके लिए एक सुनहरा अवसर है कि आप इस मिशन का हिस्सा बनें और अपनी आय में वृद्धि करें। अगर आप एक उद्यमी हैं, तो प्रसंस्करण इकाई स्थापित करके आप न केवल अपने लिए, बल्कि अपने समुदाय के लिए भी रोज़गार के अवसर पैदा कर सकते हैं।
सरकार का लक्ष्य स्पष्ट है: 2030-31 तक दालों में पूर्ण आत्मनिर्भरता। यह हम सभी की सामूहिक भागीदारी से ही संभव हो पाएगा। इसलिए, जागरूक बनें, जानकारी प्राप्त करें, और इस मिशन का लाभ उठाने के लिए आगे बढ़ें। याद रखें, एक मजबूत किसान ही एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करता है। हम सब मिलकर इस आत्मनिर्भरता के सफर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अपने आस-पास के लोगों को भी इस मिशन के बारे में बताएं और उन्हें भी इसका लाभ उठाने के लिए प्रेरित करें। धन्यवाद!